Madhu

आजाद

मैं खुद में इतनी पुरी न थी,
जितनी आज हु।
तुम ना होते, तो मैं खुद को कैसे पाती,
तुमने मुझको जो खो दिया,
मैने सब कुछ पा लिया।
मैं इतनी आजाद जो आज हु,
पहले कभी न थी।
मेरे अधूरे होने के खयाल से,
तेरे झूठ के हर जाल से,
मैं आजाद हु।।
मैं खुद में इतनी पुरी न थी,
जितनी मैं आज हु।