kapil rawat

उलझन..

पता नहीं मुझे भी  रिश्ता क्या है  तुम्हारा हमारा..
तुम किस्मत कि मारी मै वक्त का मारा....

सब कुछ बता के भी तुझे कुछ ना बताना..
बहुत मुश्किल है ना सच मे प्यार जताना..

कभी तेरा रूठना कभी मेरा मनाना..
कभी मेरा रूठना पर तेरा ना मनाना..
बड़ा मुश्किल है ना ऐसे मे किसी को हँसाना..

पता नहीं मुझे भी  रिश्ता क्या है  तुम्हारा हमारा..
तुम किस्मत कि मारी मै वक्त का मारा....

तुम से आप, आप से तुम हुआ, पर तुम से कभी तू नहीं हुआ..
इश्क़ हुआ इज़हार नहीं हुआ, रूह मिली हमारी पर बात कभी जिस्मो पर आए ऐसा तो नहीं हुआ..
बताई ना हो कोई बात तुमसे कभी ऐसा भी नहीं हुआ..
ना कभी पड़ी जरुरत बताने कि ये रिश्ता कैसा भी नहीं हुआ..

पता नहीं मुझे भी  रिश्ता क्या है  तुम्हारा हमारा..
तुम किस्मत कि मारी मै वक्त का मारा....

पढा  है मैंने तुमको, मजेदार थे तुम तभी तो तुमको पढ़ा होगा..
पर ना जाने क्यों छोड़ा हमें पढ़ के अधूरा तुमने पता नहीं ऐसा क्या ही हम मे रहा होगा...

तुम तो जी गए हमें अधूरा पढ़ के, पर सोचो जिसने तुम्हें पूरा पढ़ा होगा.
उसका क्या हाल हुआ होगा..
कीमत बढ़ गई थी तुम्हारी बाजार मे शायद कोई मलाल तो रहा होगा..
लिफाफे बन के रह गए तुम्हारी किताब के..
चलो हमारा तुम्हारे लिए कुछ काम तो रहा होगा...

पता नहीं मुझे भी  रिश्ता क्या है  तुम्हारा हमारा..

लगता है अब शायद  रिश्ता तुम्हारा हमारा यही तक रहा होगा...
तुम्हें पहुंचा के मंजिलों तक, हमें कचरे के ढेर में जाना रहा होगा..
चलो क्या पता तुमसे कुछ राबता रहा होगा..
कैसे गुजरे है हम इस वक़्त से तुम शायद ही पता चला होगा..
सोचते है किस्मत मे तुझसे बिछड़ जाना रहा होगा..
इंसानों कि क्या बात करें क्या पता इसमें खुदा भी शामिल रहा होगा..

मै था गलत पहले मेरी समझ मे ये ना जाने देर से क्यों आया होगा..
पता है  मुझे  रिश्ता क्या है  तुम्हारा हमारा..
मै  किस्मत और तू वक्त का मारा रहा होगा....😔