AMIT kr VANSI

परदेशी

          

मै  उनको  करता  शत-शत  प्रणाम,

जिस मिट्टी पर जन्मे कितने विर महान ।।

क्यों  न  उनका  परदेशी  हु  लेकिन,

करता   हूं   मै  उनका  भी   गुनगान ।।

 

                 सच   गाने   में   क्या   जाता   है,

                   जब  वो  है  सच  में  ही   महान ।।

                  जय-जय भारत जय-जय भारत,

                   तु तो  है माँ  भारत  बड़ी महान ।।

 

कास मै भी होता उस धरती पर जन्मा,

जहां  होता  है तेरा  इतना  सम्मान ||

इस जन्म में तो तुमसे रीसता जोड़ा,

अगले जन्म  में  माँ  मुझको  भी -

 तु  लेना  स्वीकार  कर  बेटा  मान ||

 

             मां मै भी  खड़ा  हो  तीरंगे  के नीचे-

                गा सकु  जन - गण - मन  का गान ।।

             माना इस जन्म में तेरा परदेशी हु पर,

                अपना सिर दिया हु तेरे चरणों में थाम।।