uglykavi

जानेवाले की व्यथा

व्यक्ति आय अथवा पढ़ाई
के लिए विदेश जाता है।
अपना देश, अपने लोग,
अपना अतीत, अपना व्यवसाय,
अपनी संस्कृति -
एक अध्याय छोड़ जाता है।
सच यही है कि -
अपना सर्वस्व छोड़ जाता है।
मन से नहीं जाता है।
बेमन ही जाता है।
मजबूरी ले जाती है।
दूसरे देश में वह
विदेशी होता है।
शून्य से शुरु करता है।
अथक परिश्रम करता है।
घुलने मिलने की -
कोशिश करता है।
पर एक हिसाब से -
विदेशी ही रहता है।
लम्बा समय अतीत
नहीं मिटता है।
बचपन अपनापन
नहीं छूटता है।
विदेश जानेवाला
दूसरे देश में
विदेशी होता है।
अगर उसके देश के लोग
उसे परदेशी मानें -
तो वो किस देश का रह जाएगा?