divj

ज़ख्म

जख्म अभी भी गहरे है

इनसे उभर लू

ऐसी चाहत भी ना है मुझे

थोडा सा घूम हु खुद न में

लेकिन

खुद की अभी भी  तलाश है मुझे

जानता हू

कुछ भी ना खोया मैंने

पर फिर भी आज

अधूरी वजह की तलाश है मुझे

हरपल गूंज रही आभासी आवाज़

सुन लू असलियत भरी फिर एक बार

ऐसी एक इबादत है मुझे,

खैर,

कोनसी मुराद पूरी हगी

इसकी भी ,

असलियत मालूमात है मुझे,,,,,,

                  --Divj