अगर आपके घर में किसी लड़की का जन्म होता है तो इस बात से दुखी मत हो जाना, की भविष्य में कोई उसके साथ कुछ गलत कर सकता है, बल्कि इस बात से खुश हो जाना की आज कल के कुछ चरित्रहीन लड़कों जैसा लड़का नहीं हुआ, जो भविष्य में किसी लड़की के साथ कुछ गलत कर सकता था।
एक पीढ़ित बच्ची का दर्द.....
क्यों खींच कर हमको सड़क से,
किया गया था दुराचार?
क्यों उठाकर फेंक दिए हमें,
ऐसे समझ कर लाचार?
क्या गलती थी मेरी जो,
उन दरिंदों ने मुझे रुलाया?
बाद में आकर इस दुनिया ने,
क्यों दिखा दी झूठी माया?
तुम क्यों उपजते ऐसे दरिंदे,
जो ना सीखे नारी सम्मान?
याद रखो वह दिन भी होगा,
जब वो करेंगे आपका अपमान।
क्यों उठाकर मुझको घर से,
एक ने मुंह पर हांथ लगाया?
दूसरे ने मेरा हांथ पकड़ कर,
तीसरे ने मुझे रुलाया।
मदद मांगने पर भी जब,
कोई मेरे पास न आया,
फिर चौथे ने पकड़ कर आंचल,
उलझकर पैरों में फसाया।
उन दरिंदों ने मिलकर उस दिन,
मुझको मार गिराया।
क्यों मुझको रुलाया?
क्यों मुझको जलाया?
क्यों मुझको मार गिराया?
क्यों मुझको मार गिराया?
जब बात आई मेरे न्याय की,
पूरा देश हुआ एक साथ।
पर कुछ दिन बाद वही हुआ फिर,
चार दिन की चांदनी फिर अंधेरी रात।
अखबारों में अपना नाम कराने,
जनता ने निकाला जुलूस।
सजा से बचने को वो दरिंदे,
पुलिस को देते हैं घूस।
आख़िर कब तक बहन बेटियों के शव,
जायेंगे हाथरस, उन्नाव?
उन दरिंदों के गले में कब तक,
पड़ जायेंगे फाँसी के दांव?
कब तक बहन बेटियों को,
आखिरी न्याय मिल पाएंगे?
आख़िर कब तक इस धरती से,
ऐसे जघन्य अपराध खत्म हो जाएंगे?
अनुज कुमार मिश्र