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मोहब्बत, परिंदो का वो चुगता दाना हैं,
पेंट तक पहुंचे, तो अमृत,
हलक मे अटके तो बारिशो मे चींटी का पर आना हैं...
ताबूत मे, गद्दे और मसलंद नहीं होते,
ये एक आग का दरिया हैं, एक दिन जल जाना हैं
अनिल मिश्रा आकाश ...
🙏
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