खोए हुए सपनों की धारा, बहती बिना थमे,
यादों की चादर में, हम खो जाते हैं कहीं।
बिती रातों की सिलसिला, खोजते हैं हम उनको,
जैसे खो गई हो जिंदगी, खोये हुए सपनों के दरमियान कहीं।
उन खोये सपनों की खोज में, निकल पड़ते हैं हम,
जैसे खोया हुआ स्वर्ग, खुदी की राहों में घूमते हुए।
सितारों से सजीव रातें, यादों की चादर सजाती हैं,
खोए हुए सपनों के ख्वाब, दिल की गहराइयों में बस जाती हैं।
जीवन की धारा में बहते रहते हैं वो खोए हुए सपने,
बस इन यादों के संगी, हम खुद को खो बैठते हैं।