जेल में बंद विपक्ष -
खाते भी ज़ब्त।
चुनाव लड़ेगा कौन?
क्या दिन दहाड़े होगी -
लोकतंत्र की हत्या?
चुनाव आयोग में बैठे
हत्यारे के अपने।
इशारे पे सत्ता पक्ष के
नाच रहीं एजेंसियाँ।
टीवी, अख़बारों से
ख़बरें ये नदारद हैं।
आलोचना से डरता -
कैसा ये मीडिया।
बिमार दिख रहा लोकतंत्र -
हालात कुछ ठीक नहीं।
अनगिनत परेशानियों,
कठिनाईयों, कुर्बानियों
बाद हासिल हुआ लोकतंत्र।
क्या यूं ही गंवा देंगे?
जनता ही लड़ती चुनाव।
जनता ही जीतती चुनाव।
हाथ जोड़कर आते नेता।
वोट की भीख मांगते नेता।
बेशकीमती ये लोकतंत्र है।
इसे यूं न गंवाना है।
जनता को आगे आना होगा।
जनता को आगे लाना होगा।
लोकतंत्र को बचाना होगा।