ओ माँ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा
तुम्ही हो ऐसी जिसको है देखा,
निःस्वार्थ सेवा तुम्ही को करते देखा,
तुम्ही को हुँ अपनी जान मानता,
तुमको दुःखी मै नही देख सकता,
ओ माँ ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा
अगर तुम न होती तो मै भी न होता
तुम्ही हो जरिया मेरे आने का
तुम्हारे बिना ये संभव न होता
तुम न होती मै न पहुँचता तक यहाँ
ओ माँ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा
भले ही हो कितनी भी तंगी पैसे की
तुमने न महसूस होने दी मुझे कमी
जो माँगा वो तुमने लाके दिया
न कभी कहा की अभी रुक जा
ओ माँ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा
बेवकूफ है वो जो माँ की कद्र न जानते
नही पता उनको की माँ न होती तो वो भी न होते
जब चली जायेगी वो छोड़ के इस तरह
तब आयेगा होश मैने गलत था किया
ओ माँ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा
बिता दी सारी जिंदगी संभालने परिवार में
भूल गयी सपने अपने बीच बाज़ार में
निःस्वार्थ सेवा करते है देखा
तुम्ही हो ऐसी जिसको है देखा
ओ माँ! तुम्हारे जैसा न कोई दूसरा।।