जो दर्द की वजह है
वही मरहम क्यूँ है
खामोशी बेचैनी और
ये पागलपन दिल में यूँ दफन क्यूँ है।
कमी सी है तेरे ना होने से
ज़ेहन को तेरी फिक्र सी क्यूं है।
कहते हो तुम धड़कनों में बसते हो
फिर जिंदगी इतनी सुनी-सुनी क्यूँ है।