अब ना राम कहते है, ना रहिम कहते है अब ना हिन्दु रहते है ना मुलस्लि रहते है अब सिर्फ एक इंसान रहते है और मिलकर हिंदुस्तान कहते है।
जो बांट रहे है धर्म में हमें और बांध रहे नफरत से देश को
चलो उन से मिल कर सब सवाल करते है सत्ता के वो अधिकारी बने है चलो उनको सब याद दिलते है ये उनकी जागीर नहीं है।
पद उनका छिन् जाने का भय दिखलाते है अब सबसे पहले कुछ नहीं राजनेताओं के लिए कानून बनवाते है ऐरा-गैरा कोई देश चला नहीं सकता है।
उनके लिए स्नातक की शिक्षा चरित्र प्रमाण पत्र जरूरी करनाते है पर्च भरने के लिए उम्र की बंदीरों उनके लिए सरकारी खचे की लीमिट लगवाते है।