adnan it is

अलग आसमा।

अब अलग आसमान है और है ज़मीन भी कुछ नई

कर रहा हूँ गर्दिशों में भी कुछ हसीं।

उन दास्तानों की कहानी कानों में छुपी,

छुप रही या चुभ रही ये ख़बर नहीं।

अब सबर नहीं और तड़प ये बढ़ रही,

टूटने की ये आवाज़ भी है गूंजती।

गूंज सुनके सब कहते चीज़ एक ही,

\"भूल जा उसे, सामने पड़ी है ज़िंदगी।\"

पर ख़्वाब थे कई, वो जान से बड़ी,

सुबह भी थी वही और शाम की एक कली।

झरनों सी थी बहती, धार जैसी वो ढली,

डूबा हुआ था उसमें, थी ही ऐसी महजबीं।

ज़ेहनसीब था मैं भी कई दफ़ा यहीं,

यही कि ख़ुदा नहीं छीनता है ज़िंदगी।

ज़िंदगी जो ज़िंदा थी मेरी भी कभी,

ज़िंदा हाथों में कहीं और ही है छुपी।

पूछते हैं लोग, \"क्या ख़ता थी आपकी?\"

बस आसमान से मिला दी थी मैंने ये ज़मीन।

!!!