uglykavi

खुद की कैद

कुरीतियों के आगे,
अन्याय के सामने,
बेबस मत दिखिए।
आँखें मत मूंदिए,
खुली आँखों से
अनदेखा मत कीजिए।
भीड़ से अलग दिखिए।
मुर्दा मत दिखिए।
मूक बधिर दृष्दीहीन
मत बनिए।
जिंदा नजर आइए।
नकल मत कीजिए।
अकल से कीजिए।
खुद को जानिए पहचानिए।
अपनी पहचान बनाइए।
धर्म नैतिकता कहते हैं -
करके दिखाइए।
अपने पे गुजरती है -
पीड़ा होती है।
पीड़ा दिखती है।
पीड़ा समझिए -
दूसरे की भी।
सिर्फ खुद ही खुद की
दवा मत कीजिए।
हारिए मत,
ऊपर उठिए।
संघर्ष पीड़ादायी है।
जीत सुखदायी है।
सब कुछ अस्थाई है।
अनवरत प्रयासों से
मुकाम हासिल होते हैं।
साम दाम दंड भेद,
ऐन केन प्रकारेण,
जीत हासिल होती है।
कितने आपने किए?
विचार कैद होते नहीं।
खुद को कैद मत कीजिए।
मुकाम की तरफ बढ़िए।