Dev Parth

खामोशियों का साया

एक खाली कमरे में, मैं खुद से बातें करता हूँ,
तेरे जाने के बाद, हर दिन बस यूँ ही बिताता हूँ।
खामोशी की चादर में, मेरा दिल छिपा है,
तेरी यादों का साया, हर पल मुझसे जुड़ा है।

तेरी हंसी की गूंज, अब सुनाई नहीं देती,
तेरे बिना ये धड़कन, जैसे खुद को भूल गई है।
रातों में चाँद की रोशनी, अब अधूरी लगती है,
तेरे बिना ये दुनिया, जैसे एक वीरान सी लगती है।

हर ख्वाब में तेरा चेहरा, हर लम्हा तेरा नाम,
तेरे बिना हर खुशी, जैसे एक तन्हा शाम।
खुद को संभालते हुए, मैं फिर भी मुस्कुराता हूँ,
तेरी कमी के इस दर्द को, हर दिन सहता हूँ।

आँखों में बसी हैं, अनकही दास्तानें,
तेरे बिना यह जिंदगी, जैसे हो बंजर ज़मीन।
एक दिन लौट आ, ये दिल तेरा इंतज़ार करेगा,
तेरी यादों के इस सफर में, मैं हमेशा तेरे साथ रहूँगा।