मानव _छंद में गीत लेखन का मेरा छोटा सा प्रयत्न:-
विधान:-14-14 मात्रा का एक चरण,चार चरण,चारों चरण या दो-दो चरण समतुकांत
मात्रा की बाँट ~12+2 है।
बारह मात्रा में पूरित जगण छोड़कर तीन चौकल हो सकते हैं,या एक अठकल एक चौकल अथवा एक चौकल एक अठकल हो सकता है।
फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया।
गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।।
तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं ।
निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं।
उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का।
न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।।
मुखड़ा-फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया।
गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।।
फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया।
गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।।
अंतरा-तुमने सिद्ध यह किया है,
असंभव कुछ भी है नहीं ।
निहार के सागर बैठे,
पाया मोती भला कहीं।
श्रम से तुम गुकेश अपने,लक्ष्य साध हिय हर्षाया ।
टेक-*फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया!*
फिर रचकर नव कीर्तिमान,माँ का सम्मान बढ़ाया,
गुकेश पुत्र यशस्वी हो, सुमन विजयी जो चढ़ाया।
दूसरा अंतरा- नहीं ज़रूरी पढ़ना ही,आज खेल भी उत्तम है।
पढ़ना लिखना ही अब ना,खेल भी सर्वोत्तम है।
नहीं ज़रूरी पढ़ना ही,आज खेल भी उत्तम है।
पढ़ना लिखना ही अब ना,खेल भी सर्वोत्तम है।
तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं ।
टेक- *निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं।*
तुमने सिद्ध यह किया है,असंभव कुछ भी है नहीं ,
निहार के सागर बैठे,पाया मोती भला कहीं।
तीसरा अंतरा-उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का।
न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।।
उम्र महत्व न रखता है,केवल मोल प्रयत्नों का।
न मोल लोटे के जल का,मोल प्राप्ति के यत्नों का।।
भारत भूषण पाठक\'देवांश\'