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पतंग और सफलता का संगम

हवा की ताल पर पतंग जब उड़ान भरे, सफलता का संदेश हमें गहराई से दे।

जैसे पतंग को चाहिए हवा का सहारा, वैसे ही हमें चाहिए एक सही इशारा।

पहली उड़ान में पतंग गिर भी सकती है, लेकिन कोशिश करने से बात बन सकती है।

सफलता भी ऐसे ही बार-बार प्रयास चाहती, हर असफलता के बाद नई राह दिखाती।

पतंग को थामे रहती है डोरी की बात, वो डोरी है संस्कार और हमारी औकात।

डोरी टूटे तो पतंग गिर जाती है, संस्कार और मूल्यों से सफलता संभल पाती है।

जैसे पतंग को ऊँचाई पर टिकाना पड़ता, वैसे ही सफलता में स्थिरता लाना पड़ता।

थोड़ी मेहनत, थोड़ा धैर्य, और आगे बढ़ते जाओ, हर प्रयास से अपने सपने को पास लाओ।

पतंग के मांझे पर लड़ती हैं अन्य पतंगे, सफलता के रास्ते में भी होती हैं चुनौतियां रंग-बिरंगी।

पर धैर्य रखो, और सही दिशा पकड़ो, हर संघर्ष को जीतकर ऊँचाई पर बढ़ो।

सफलता का आसमान जितना भी ऊँचा हो, अपने मूल्यों से जुड़े रहना सिखाता वो।

पतंग का हर संदेश सफलता से जुड़ा है, जो इसे समझे, वो हर ऊँचाई पर खड़ा है।