Anmol Sinha

किस कदर अब तेरी यादें सता रहीं हैं मुझे

किस कदर अब तेरी यादें सता रहीं हैं मुझे

नींद से अब तो उठाकर बिठा रहीं हैं मुझे

 

जिन नज़ारों को मैं कब का ही छोड़ आया हूं

तेरी यादें वहीं वापस बुला रहीं हैं मुझे

 

एक ये शाम जवां और मेरी तन्हाई

अब ये मिलकर यहीं दोनों रुला रहीं हैं मुझे

 

अब तेरे आने के मौसम भी आने वाले हैं

पास आकर ये हवाएं बता रहीं हैं मुझे

अनमोल