किस कदर अब तेरी यादें सता रहीं हैं मुझे
नींद से अब तो उठाकर बिठा रहीं हैं मुझे
जिन नज़ारों को मैं कब का ही छोड़ आया हूं
तेरी यादें वहीं वापस बुला रहीं हैं मुझे
एक ये शाम जवां और मेरी तन्हाई
अब ये मिलकर यहीं दोनों रुला रहीं हैं मुझे
अब तेरे आने के मौसम भी आने वाले हैं
पास आकर ये हवाएं बता रहीं हैं मुझे
अनमोल