Anmol Sinha

अपने किये गुनाह सभी धो चुका है वो

अपने किये गुनाह सभी धो चुका है वो

सुनता हूँ कल की रात बहुत रो चुका है वो

 

अब दोस्त, एक यार, हबीब और चारागर

एक मुझको खो के जाने क्या-क्या खो चुका है वो

 

कितनी ही रात जागता फिरता था राहगीर

कल रात को सदा के लिए सो चुका है वो

 

अब चाह कर भी गुल नहीं आएंगे उसके पास

काँटों को अपनी राह में खुद बो चुका है वो

 

अब तो चमक ही जाएं कहीं आँखें सुर्ख सी

अब अश्क से यूं आंखों को धो चुका है वो

 

अनमोल