Anmol Sinha

ख्वाब बेचे घर चलाने को

ख्वाब बेचे घर चलाने को

चीज़ अच्छी दिल, जलाने को

 

अब यहां तो घर बचा नहीं

फिर क्या रह गया बचाने को

 

मोल आंसू का कुछ नहीं

खून रह गया बहाने को

 

दिल नहीं है लगता शहर में

हम तो आए हैं कमाने को

 

खुद से रूठे हम यहां हैं पर

कौन हमको है मनाने को

 

तेरी यादें, तेरी बातें हैं

और क्या है दिल लगाने को

 

जिनसे कोई नहीं मरासिम अब

वो भी आए हक जताने को

 अनमोल