अपन जिम्मेदारी बूझी के बा।
अपन परिवार खातिर सोची के बा।
दूर के सोची के बा।
इतिहास मा झांकी के बा।
पंच पंच सौ लेई के,
मीट भात खाई के -
वोट ना देई।
एही वजह रही -
नेता लोगन अमीर बा।
हम लोगन गरीब बा।
एतना सस्ता में
बिके को तैयार बा।
अपन इज्जत बेचत रही
तो का भविष्य रही?
वोट के कीमत बा
वोट कीमती बा
अमीर के ना बेची
ठीक विचार के
इस्तेमाल करी
अपन भलाई करी।