हमारे नाम से रोशन है महफिल तेरी ये लेकिन
मेरे ही नाम को सबसे छुपाया किस लिए तूने
ऐ जां जब तोड़कर जाना ही था इस दिल को तुमको तो
हमारे दिल में अपना घर बनाया किस लिए तूने
वो जो थे राज़ उल्फ़त के जो कुछ अपने ही ऐ हमदम
मेरी जान उसको फिर सबको बताया किस लिए तूने
कि नज़रों से ही मुझको एक दिन गिरना था तेरे तो
सनम फिर मुझको नज़रों में बसाया किस लिए तूने
सनम \'अनमोल\' को देना ही था जब धोखा तुमको यूं
तो इस नाचीज़ से दिल को लगाया किस लिए तूने
अनमोल