Anmol Sinha

क्या मेरे प्यार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

क्या मेरे प्यार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

मेरे इक़रार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

 

मेरे इस दिल के गुलिस्तां के बाग़बाँ तुम हो

क्या गुल-ओ-ख़ार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

 

जिसकी आवाज़ से धड़कन में लहर उठती थी

क्या अब उस यार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

 

बांट लेता था जो ग़म को भी तेरे ऐ हमदम

उसी ग़मखार की कोई ख़बर नहीं है तुम्हे

अनमोल