तुम्हारे जन्मदिन पर
सोचा था
कुछ तोहफ़ा दूँ तुम्हें।
भले महँगा न हो,
पर छोटा और खूबसूरत।
जिससे तुम्हारी ज़िंदगी
थोड़ी और रोशन हो
जैसे पृथ्वी
सूरज की पहली किरण से
धीरे-धीरे सराबोर होती है।
और अगर कुछ न हो पाया,
तो कम-से-कम एक गुलाब ही सही,
कुछ गर्मजोशी से कहे हुए मीठे शब्द,
जो याद रहे तुम्हें,
ख़ास पलों में।
पर ऐसा कुछ न हो सका।
मैं कुछ नहीं ला सका तुम्हारे लिए
न फूल, न चॉकलेट।
बस यह कविता,
जो मैंने खाना बनाते हुए,
मन ही मन रची थी।
जिसमें है
थोड़ी सी धूप,
थोड़ी सी चाँदनी,
थोड़ी सी दोस्ती,
थोड़ा सा प्यार।
मेरी उमंगें,
मेरी झिझक,
थोड़ी धड़कनें,
सब कुछ उड़ेल देना चाहता हूँ
तुम्हारे जन्मदिन पर।
आज रात देर तक
मैं कविता लिख रहा हूँ
तुम्हारे लिए।
तुम्हारे बारे में केवल सोचना
एक खूबसूरत अहसास है
जैसे पेड़ अचानक से
हरा भरा हो जाए
फल लग आएं
लगता है हवा ने
कहीं तुम्हारा नाम लिया होगा।
तुम मेरे दिल के ताल में
ऐसे उतरती हो
जैसे चाँद
उतरता है ताल में
भरा पूरा
मैं अमीर नहीं,
न ही तुम्हारी तरह
खूबसूरत या जवाँ,
पर जब भी सोचता हूँ
तुम्हारे बारे में,
शब्दों में मिठास घुल जाती
है।
बस यही मिठास लाया हूँ
तोहफे में
सिर्फ तुम्हारे लिए।