वो नन्हें कदमों से आई है |
हाँ वो मेरी ही परछाई है|
मन में भोर कि चिड़िया गूंजे
जब जब वो मुस्काई है|
हाँ वो मेरी ही परछाई है|
वो सीप में मोती भर लाई है|
मानो नन्हा उपहार बन कर आई है|
हाँ वो मेरी ही परछाई है|
मुझ से जीवन लिया है उसने या मानो मुझे नई जिंदगी दिलाई है|
हाँ वो मेरी ही परछाई है|
लेखक दीप्ति