तेरी ही याद तेरा ही ख़्याल कल से है
मैं क्या बताऊं मेरा कैसा हाल कल से है
क्या तेरी याद काफी होगी मेरे जीने को
ज़हन में मेरे बस यही सवाल कल से है
जिधर मैं देखता हूं तुम नज़र में आते हो
मैं क्या बताऊं कैसा ये कमाल कल से है
कि एक दूसरे से लड़ रहे हैं लोग अब
कि शहर में ये कैसा अब बवाल कल से है
ये मेरा शहर तो नया नया सा लगता है
कि वक्त की कोई नई ये चाल कल से है l
अनमोल