तेरे बाद कोई हसरत बची नहीं दिल में
दिल लगाने की भी हिम्मत बची नहीं दिल में
जान मेरी वो था, वो जो उतर गया दिल से
उसके वास्ते अब इज़्ज़त बची नहीं दिल में
जाते-जाते उसने शर्मिंदा फिर किया हमको
उसको रोकूं ये भी जुर्रत बची नहीं दिल में
प्यार में क्यों तेरे दीवाने जैसे फिरते रहें
अब तो इतनी सी भी शिद्दत बची नहीं दिल में
अनमोल