कहां तुम मुझको मनाने आए
तुम भी तो दिल को जलाने आए
दिल जज़ीरे की तरह खाली था
हम तेरी याद बसाने आए
कल से जब लौट के फिर तू आया
फिर से उल्फ़त के ज़माने आए
जब मैं तन्हाई में कल बैठा था
याद तेरे ही फ़साने आए
नाम तक जानते मेरा नहीं हैं
हक़ वही लोग जताने आए |
अनमोल