कभी इधर से तो कभी उधर से देखता रहा
तुम्हारी फोटो को मैं चश्म ए तर से देखता रहा
मैं रात जागता रहा यूं ही तुम्हारी याद में
तुम्हारी राह फिर मैं तो सहर से देखता रहा
सभी अलग हैं और बस ये ही गुनाह है मेरा
कि सबको क्यों मैं एक सी नज़र से देखता रहा l
-अनमोल