Anmol Sinha

कभी इधर से तो कभी उधर से देखता रहा

कभी इधर से तो कभी उधर से देखता रहा

तुम्हारी फोटो को मैं चश्म ए तर से देखता रहा

 

मैं रात जागता रहा यूं ही तुम्हारी याद में

तुम्हारी राह फिर मैं तो सहर से देखता रहा

 

सभी अलग हैं और बस ये ही गुनाह है मेरा

कि सबको क्यों मैं एक सी नज़र से देखता रहा l

-अनमोल