Anmol Sinha

तेरी तस्वीर (नज़्म)

तेरी तस्वीर बनानी थी

उसे लेकिन मैं बना न सका

मैं ख्वाबों से कभी ख्यालों से

तेरी तस्वीर सजा न सका

 

मैं रंग उसमें कभी फूलों के

कहां से लाऊं जो चमकेंगे

या तारों से सजा लाऊं मैं

वो जो रातों को भी चमकेंगे

कहां तारे यहां मिलते हैं

फलक पे फूल से खिलते हैं

मुझे कोई भी बता न सका

तेरी तस्वीर बनानी थी

उसे लेकिन मैं बना न सका

 

हों मोती आँखें बनाने को

हों तारे मांग सजाने को

हो बादल सी घनी जुल्फें भी

हमारी प्यास जगाने को

कहां पे तिल को लगाऊं मैं

कि कैसे और सजाऊं मैं

बड़े दिल से ये बनाना है

मोहब्बत से ये सजाना है

अलावा इसके सजा न सका

तेरी तस्वीर बनानी थी

उसे लेकिन मैं बना न सका

 

अधूरी ही रही दिल में तो

ये एक तस्वीर है जो तेरी

ये लगता है रहेगी बनकर

यहां तक़दीर ही अब मेरी

ज़मीं पर दिल के बिठा न सका

तेरी तस्वीर बनानी थी

उसे लेकिन मैं बना न सका।

 

अनमोल