Anmol Sinha

हाथों की लकीरों में तेरा नाम नहीं है

हाथों की लकीरों में तेरा नाम नहीं है

इससे बड़ा मेरे लिए इल्ज़ाम नहीं है

 

अक्सर ये धड़कता है यहां याद में तेरी

लगता है मेरे दिल को कोई काम नहीं है

 

दो पल के लिए भी जो कभी भूलें हों तुमको

ऐसी तो कोई सुबह कोई शाम नहीं है

 

प्यासे भी हैं हम और मयकदे में हैं बैठे

लेकिन मेरे हाथों में कोई जाम नहीं है

 

\'अनमोल\' कहां तुम हो चले दिल लिए देखो

इस शहर में इस दिल का कोई दाम नहीं है।

अनमोल