तन्हाई में एक और दिसंबर गुज़र गया
तकलीफ़ तो हुई थी बहुत पर गुज़र गया
तुमको मनाने आया था, अब खुद खफा हूं मैं
आया था किस लिए, क्या मैं अब कर गुज़र गया
क्या हम बताएं कैसे गुज़ारी तेरे बगैर
मुश्किल बहुत था वक्त यहां, पर गुज़र गया
तेरे बगैर वैसे दिसंबर यहां गया
जैसे तेरे बगैर नवंबर गुज़र गया
जिस रास्ते से लौट गये हार कर कई
मैं ऐसे रास्ते से यहां पर गुज़र गया
तुमको ख़बर नहीं थी मगर तेरे प्यार में
जान-ए-जहां क्या अब यहां हम पर गुज़र गया
मुझको ख़बर है वो अभी आया नहीं यहां
रस्ते महक उठें वो यहां \'गर गुज़र गया
अब ख़त्म होने को है यहां ज़िंदगी ये तो
जैसा भी यारों था ये सफ़र, पर गुज़र गया
मिलना हमारा तय हुआ था मार्च में यहां
अब आ भी जाओ यार दिसंबर गुज़र गया
ये साल अबकी बार बहुत तेज़ है गया
हम थे अगस्त में कि दिसंबर गुज़र गया l
अनमोल