एक गलती की सजा क्या मिली हमको
हम हमारे ना रहे ना भूल सके तुमको
पूछते है लोग हमारी उदासी की वजह
हम मगर करते नहीं शिकायते तुमको
जानते है ना मिलेंगे हम कभी तुमको
प्यार तुमसे उम्रभर रहेगा हमको
रोती है आँखे मेरी जब याद आते हो
क्या मेरी भी याद आती होगी तुमको
लौटकर आओगे तुम था यक़ीन हमको
पर हमारी कदर भी ना रही तुमको
तुम किसी के हो रहे हो हो भी जाओगे मगर
किसी को दे ना पाएंगे जो हक़ दिया था तुमको
-
Author:
KISHORE KAKADE (Pseudonym) (
Offline)
- Published: February 5th, 2022 04:42
- Category: Unclassified
- Views: 37
To be able to comment and rate this poem, you must be registered. Register here or if you are already registered, login here.