पेड़- पौधे की दर्द भरी कहानी

झुमी कुमारी - किशनगंज बिहार

पृथ्वी की है शान, पेड़ -पौधे है हमारे लिए वरदान।

क्यो ना समझे हम इंसान, पेड़- पौधे है हमारे लिए वरदान ।

 

            इन्हे बचाकर करो धरती पर एहसान, यही बचाएगी एक दिन हम सबकी जान।

            पेड़ पौधे है हमारे लिए वरदान ।

 

पेड़ -पौधे में भी बसते है जान, क्यो ना समझे हम इंसान।

पथ पर चलते –चलते थक जाते है जब इंसान इनकी छाव पर करते है विश्राम,

फिर भी करते है पेड़ पौधो का काम तमाम ।

 

जिस दिन समझ जाए हम इंसान, पेड़ -पौधे में भी बसते है जान,

नहीं करेंगे हम इंका नुकसान, पेड़ -पौधे है हमारे लिए वरदान।

 

इन्हे बचाकर हम करें खुद पर एहसान,

पृथ्वी की है शान, पेड़- पौधे है हमारे लिए वरदान।

 

जब करते है उनपर वार क्यों नही कापती रूह एक भी बार,

करेंगे अगर ऐसे घिनौने काम तो कैसे बचाएंगे खुद की जान,

पृथ्वी की है शान, पेड़ -पौधे है हमारे लिए वरदान।

 

जब मिलके सब करेंगे वृक्षारोपण, पेड़ पौधे के प्रति करेंगे खुद को समर्पण।

यही है हमारी धरोहर यही है हमारी शान, पेड़ -पौधे है हमारे लिए वरदान।

 

पेड़-पौधे है जीवन का आधार, अपनी हरियाली से करती है धरती का शृंगार।

स्वच्छ वायु देकर करती है हम सब पे एहसान । धरती की है शान, पेड़ -पौधे है हमारे लिए वरदान।

 

सौजन्य :- झुमी कुमारी (शिक्षिका),

किशनगंज, बिहार

Get a free collection of Classic Poetry ↓

Receive the ebook in seconds 50 poems from 50 different authors


Comments +

Comments1

  • Simplyalice

    Nicely written Ms.Jhumi !



To be able to comment and rate this poem, you must be registered. Register here or if you are already registered, login here.