यमुना की हत्या

uglykavi

कुछ देशभक्त कहते हैं कि
माल्या को पकड़ना
पुलिस और कोर्ट का काम है!

कवि चन्द्रेश कहते हैं -
चाय बनाना मेरे बांए हाथ का खेल है,
चाय गड़बड़ हुई तो
मेरे बाएं हाथ का कसूर है!
मैं चाय बना सकता हूं तो
देश का प्रधानमंत्री भी बन सकता हूं।
कुछ अनपढ़ देश चला रहे हैं
और सैंकड़ों पढ़े लिखे
सरकारी चाकरी में व्यस्त हैं।
कमजोर बुद्धिजीवी देश छोड़कर जा रहे हैं।
महाठग देश लूटकर जा रहे हैं।
सरहद पर घुसपैठ जारी है।
फौजी लाचार त्योहार के इंतजामात में व्यस्त हैं।
महायोगी संग महामहिम
त्योहार मना रहे हैं।
न्यायाधिपति मामूली मुआवजा वसूली में अक्षम हैं।
आज़ादी की दूसरी लड़ाई की हुंकार चुप है।
क्या सरहद की रक्षा ही देश की रक्षा है।
लगान बढ़ता ही जा रहा है।
जमीन चंद पूंजीपतियों में बंट रही है।
कर्ज तले डूबे किसान,
आत्महत्याग्रस्त परिवार -
क्या समाज की संवेदना मर चुकी है।
आवाज उठानेवालों से
सरकार डरती क्यूं है?
चारों दिशाओं में शांति अच्छी है?
क्या अगली क्रांति
फेसबुक पर शोर मचाकर होगी?
मैं हैरान हूं क्या सचमुच
ये देश भगतसिंह सुखदेव राजगुरु का है?
क्या सचमुच गांधी सुभाष सरदार यहीं हुए थे?
हताशा भी आज हताश लगती है।
कहाँ हैं भारत मां के सपूत कहाँ हैं!

  • Author: uglykavi (Offline Offline)
  • Published: October 7th, 2022 23:15
  • Comment from author about the poem: This was my first ever hindi poem written with a lot of passion. Context of the poem: Yamuna river basin was destroyed by Art of Living by hosting a function over there which was attended by Mr. Modi and Mr. Kejriwal. It was thoroughly illegal and yet it happened! Even Indian army's help was used for the function arrangements. AOL were fined Rs. 5 crore for it by NGT. It was all over the news - the protest about it and they still going ahead with it. The NGT expert body recommended a fine of Rs. 120 crore but they were ultimately let off with a fine of Rs. 5 crore. Initially, AOL refused to pay up - making statements of such kind in public but later they quietly paid the fine. https://www.thenewsminute.com/article/ngt-expert-body-recommends-rs-120-crore-fine-sri-sri-s-aol-damaging-yamuna-foundation
  • Category: Sociopolitical
  • Views: 8
Get a free collection of Classic Poetry ↓

Receive the ebook in seconds 50 poems from 50 different authors




To be able to comment and rate this poem, you must be registered. Register here or if you are already registered, login here.