मेरे मन की गलियों में,तुमको आज बुलाता हू।
स्थिर मन में लहरें बनकर तेरी यादें आती हैं,
उन यादों की ज्वारों से तुमको आज मिलाता हूँ॥
मेरे मन के पन्ने पर जो स्वर्णिम नाम तुम्हारा है,
एक चाँद सा चेहरा दिखता है उस नाम को जब दोहराता हूँ॥
मेरे मन की गलियों में तुमको आज बुलाता हूं।
बहता पानी सा मन मेरा ठहरा-ठहरा लगता है,जब तेरे पायल
की छुनछुन कानो तक आ जाती है।
खेतों की हरियाली सा मन झूम-झूम के रहता है,जब तेरे यादों
की बारिश मेरे मन में आती है।
उन यादों की सरगम पे अर्पित गीत बनाता जाता हूँ॥
मेरे मन की गलियों मे,तुमको आज बुलाता हूँ॥
स्थिर मन में लहरें बनकर तेरी यादें आती हैं,
उन यादों की ज्वारों से तुमको आज मिलाता हूँ॥
मेरे मन के पन्ने पर जो स्वर्णिम नाम तुम्हारा है,
एक चाँद सा चेहरा दिखता है उस नाम को जब दोहराता हूँ॥
मेरे मन की गलियों में तुमको आज बुलाता हूं।
बहता पानी सा मन मेरा ठहरा-ठहरा लगता है,जब तेरे पायल
की छुनछुन कानो तक आ जाती है।
खेतों की हरियाली सा मन झूम-झूम के रहता है,जब तेरे यादों
की बारिश मेरे मन में आती है।
उन यादों की सरगम पे अर्पित गीत बनाता जाता हूँ॥
मेरे मन की गलियों मे,तुमको आज बुलाता हूँ॥
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Author:
Arpit Shukla (
Offline)
- Published: October 14th, 2022 04:00
- Category: Love
- Views: 6
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