ये मुझको ही नहीं बेकल तो कर रहा होगा
वो मुझसे दूर है, उसको भी खल रहा होगा
कि ऐसी हिज्र से कब ताल्लुक बिगड़ते हैं
वहां हमारे लिए ख़्वाब पल रहा होगा
बहुत ही तेज़ थी रफ़्तार अपने रिश्ते की
फिसल गया था मैं, वो भी संभल रहा होगा
सितारे चमके थे कल उन निगाहों में उनके
न जाने कौन सा लावा पिघल रहा होगा
कि ढल गए जो यूं हम अब नए ज़माने में
इसी चलन में वो अब भी तो ढल रहा होगा
अनमोल
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Author:
Anmol (Pseudonym) (
Online)
- Published: September 13th, 2025 02:23
- Category: Unclassified
- Views: 1
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