हम वाकिफ थे बनाओगे ना अपना मुझको

Anmol Sinha

 

हम वाकिफ थे बनाओगे ना अपना मुझको

यूं ही दानिस्ता फिर भी है चाहा तुझको

 

कोई उम्मीद नहीं रखी थी मैंने उससे

जाने क्यों फिर भी वो भूल गया है मुझको

 

उसके बाद नहीं उल्फत में बाकि अब कुछ

वो एक मंज़र जब जाते हुए देखा तुझको

 

तुझसे मिले हुए एक ज़माना है बीता हमको

बारहां मैंने तो महसूस किया है तुझको

 

सोचता हूँ कि कैसे चैन से सोता होगा ?

अक्सर रातों को जिसने है जगाया मुझको

 

जो भी मिलता है अपनी राय बना लेता है

तूने ये कैसा ये तमाशा बना दिया मुझको

 

अच्छा है जो तुझसे जुदा हो ही चुके अब हम

अब इस तरह से तो मैने है पा लिया मुझको

 

क़ुर्बत में मैं तो कहां पहचाना कभी तुझको

हम जब बिछड़े तब जा के है जाना तुझको

 

अब नहीं है मुझमें खोने की हिम्मत तुझको

हमने खोया तो है सब,फिर है पाया तुझको

 

फिर अब इस धड़कन पे हमारा कहां बस चलता?

जब से तूने मुड़कर कल यूं देखा मुझको

 

अनमोल

  • Author: Anmol (Pseudonym) (Online Online)
  • Published: September 21st, 2025 19:14
  • Category: Unclassified
  • Views: 8
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Comments +

Comments2

  • Priya Tomar

    Jabab nhi !

  • Ajay Sinha

    बेहतरीन



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