आंखों से दिल तक लाने की कोशिश में लगा हूं

Anmol Sinha

आंखों से दिल तक लाने की कोशिश में लगा हूं

हां तुझको ही मैं पाने की कोशिश में लगा हूं

 

बात थी वो जो दिल में हमने भी सालों से छुपाई

वो अब जाकर तुझको बताने की कोशिश में लगा हूं

 

ख़्वाब थे अपने कुछ टूटे बिखरे से आँखों में

मैं अब उनको फिर से सजाने की कोशिश में लगा हूं

 

तुम अब एक नई दुनिया को बसाने में लगे हो

मैं इस घर को अब भी बचाने की कोशिश में लगा हूं

 

मेरे आंसू अब तो कहीं राज़-ए-वफ़ा खोल न दें

मैं इनको इस कारण छुपाने की कोशिश में लगा हूं

 

अनमोल

  • Author: Anmol (Pseudonym) (Offline Offline)
  • Published: October 10th, 2025 05:28
  • Category: Love
  • Views: 8
  • Users favorite of this poem: Vogelfrei
Get a free collection of Classic Poetry ↓

Receive the ebook in seconds 50 poems from 50 different authors


Comments +

Comments1



To be able to comment and rate this poem, you must be registered. Register here or if you are already registered, login here.