सुनते हैं जीना भी यहां उनका मुहाल है

Anmol Sinha

सुनते हैं जीना भी यहां उनका मुहाल है

जो अपना हाल है वही उनका भी हाल है

 

क्या उस गली से तुम भी हो आये हो अब मियां

क्यों लड़खड़ाती सी यूं तुम्हारी ये चाल है?

 

क्या मेरी ही तरह वो भी सपने सजाए है?

उनसे तो हमको अब यहां इतना सवाल है

 

कोई कली हो, चांद हो, या आफताब हो

हर एक शय में तुम यहां, कैसा कमाल है?

 

हम तो मिसाल क्या दें तुम्हारी हसीना अब

क्या हुस्न है, क्या रंग है, और क्या जमाल है

 

जितने क़रीब हैं मेरे उतने ही दूर हैं

क्या हिज्र और कैसा ये अब तो विसाल है?

 

आँखों को देख लूँ मैं, या उस लब को अब यहां

कारीगिरी की वो यहाँ ज़िंदा मिसाल है

 

अपनी ज़रूरतें बढ़ीं तो भूलने लगे

कि क्या हराम है यहाँ, और क्या हलाल है

 

जो देख लें तुझे तो कहीं और देख ले

आँखों को मेरी अब कहाँ इतनी मजाल है

 

पलकों पे तारे और यहां होठों पे हँसी

जाने ये कैसा कल से मेरे दिल का हाल है l

 

अनमोल

  • Author: Anmol (Pseudonym) (Offline Offline)
  • Published: October 13th, 2025 20:12
  • Category: Unclassified
  • Views: 6
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Comments1

  • Priya Tomar

    Bhut acchi gazal likhte hai aap .



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