किसी भी घर या घराने से नहीं चलती है
ये मोहब्बत है बहाने से नहीं चलती है
ये मोहब्बत है, यहां खून बहुत लगता है
ये फकत दिल को लगाने से नहीं चलती है
यहां मालिक तो सभी अपनी ही मर्ज़ी के हैं
दुनिया मेरे तो चलाने से नहीं चलती है
हर ग़ज़ल में लहू भी दिल का यहां लगता है
ये फकत किस्से-फ़साने से नहीं चलती है
की मोहब्बत है तो 'अनमोल' करो तुम हिम्मत
यहां ये दिल को जलाने से नहीं चलती है l
अनमोल सिन्हा 'अनमोल'
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Author:
Anmol (Pseudonym) (
Offline) - Published: November 16th, 2025 07:18
- Category: Love
- Views: 1

Offline)
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