ए जिंदगी तेरा कोई वजूद नहीं !
मै हूँ तो तू है ,
मेरे होने के लिए तेरा होना जरुरी नहीं |
ए जिंदगी तेरा कोई वजूद नहीं !
तुम्हे तो जब चाहु खत्म कर दुँ ,
और तुम तो चाह के भी नहीं |
ए जींदगी तेरा कोई वजूद नही !
कभी मुङ तो पिछे देख तो सही ,
जिसके साथ तुम थे कभी वो तो आज भी है पर तुम नही |
ए जिंदगी तेरा कोई वजूद नही !
तु मेरे बिना एक पल भी रह के दिखा ,
मै तो तुम्हारे बिना शदियो गुजारा कि नही |
ए जिंदगी तेरा कोई वजूद नहीं !
तुम तो गुलाम हो फिर भी पलको पे बिठाएँ रखता हुँ .
शायद तुम्हे ये गुलामी पसंद नही ,
तुम्हारी ये जिद भी पुरा करता हूँ कि नही|
ए जिंदगी तेरा कोई वजूद नहीं !
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Author:
chandan (
Offline)
- Published: June 17th, 2018 09:23
- Category: Spiritual
- Views: 15
Comments1
Life and life's perspectives are amazingly expressed in this beautiful poem.
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