दोस्तों,
आज नए साल का पहला दिन है!
और आप सभी ने कुछ न कुछ सोच रखा है|
ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है!
कवि चन्द्रेश कहते हैं -
ज्यादा सोचनेवाले अकसर
निष्कर्ष तक नहीं पहुंचते|
जो पहुंचते हैं वे अकसर
कार्यान्वयन में मात खाते हैं|
याद रखिए अगर आप दूर की सोच सकते हैं
और कर्मठ हैं,
तभी मुश्किल अकल्पनीय कार्य सिद्ध होते हैं|
ऐसी दूरदृष्टता एवं मार्गदर्शन की
आज के दौर में बड़ी जरूरत है|
जहां "Skill India" आगे नहीं बढ़ता,
वहां नोटबंदी "Kill India" लाती है|
अगर आपकी काबिलीयत और मेहनत
आपको नोट नहीं दे सकती,
तो इसे "Kill India" ही कहेंगे, क्यूं?
पर जैसा मैंने कहा -
ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं!
कल हो न हो?
कल की सोच में आज न गवांएं|
आज साल का पहला दिन है|
अच्छी शुरुआत मुकाम के करीब लाती है|
जीवन में रस जरूरी है|
परिवार और समाज को व़क्त देना जरुरी है|
ज्यादा सोचना जरूरी नहीं है!
आपको नया साल मुबारक हो|
धन्यवाद!
- Author: uglykavi ( Offline)
- Published: October 11th, 2022 19:19
- Comment from author about the poem: My take on notebandi, family time and celebrating new year! Written a few years back in time.
- Category: Sociopolitical
- Views: 3
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