चाँद पर तो बड़ा गुमना था
मुझे
बस ,
कतरे भर गुस्ताखी कर बैठे ....
उसका ,
कलंक ही न जान सका
खेर,बगेरत सी नादानी कर
बैठे.....
चांदनी से मुलाकात कर ...
चाँद की असलियत से ही
बगावत कर बैठे....
- divj.....
- Author: divj ( Offline)
- Published: October 13th, 2022 11:17
- Category: Unclassified
- Views: 8
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