जख्म अभी भी गहरे है
इनसे उभर लू
ऐसी चाहत भी ना है मुझे
थोडा सा घूम हु खुद न में
लेकिन
खुद की अभी भी तलाश है मुझे
जानता हू
कुछ भी ना खोया मैंने
पर फिर भी आज
अधूरी वजह की तलाश है मुझे
हरपल गूंज रही आभासी आवाज़
सुन लू असलियत भरी फिर एक बार
ऐसी एक इबादत है मुझे,
खैर,
कोनसी मुराद पूरी हगी
इसकी भी ,
असलियत मालूमात है मुझे,,,,,,
--Divj
- Author: divj ( Offline)
- Published: October 14th, 2022 11:06
- Category: Unclassified
- Views: 5
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