ट्रैफिक पुलिस

Panchi

भीड़भाड़ की जिंदगी में कई बार हम खुद ही खो जाते हैं ,

है अपनों की कतार खड़ी पर देखें कौन ढूंढने आते हैं ,

शोर-शराबे में शहरों के फर्ज की राह पर मूरत बनी खड़ी है ,

उड़ीसा के युग में संयमता बेचारी सूरत लिए खड़ी है ,

कोई है लेकिन जो संकेतों के हथियार चलाता है ,

अहिंसा को निभाना हिंसा होने से बचाता है ,

कोई तो है जो गांधी का बंदर ना बन भी, 

गांधी की ही राहों पर चल फर्ज अपना निभाता है ,

संयमता की बोली है व्यक्तित्व है सम्मान  का ,

हर मौसम में धैर्य दिखाकर भी फल मिला अपमान का ,

काम से काम नहीं जिम्मेदारी के प्रतिकूल है ,

इस कलयुग में ट्रैफिक पुलिस ही है जो लोगों के अनुकूल है।।

  • Author: Aapki Zindagi (Pseudonym) (Offline Offline)
  • Published: August 21st, 2023 06:06
  • Comment from author about the poem: Nowadays..time is going so fast..with the internet. That's why we are continuously ignoring these little incidents and persons who play a vital role in our life. So let's start noticing
  • Category: Sociopolitical
  • Views: 0
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