अब क्या बतलाएं और कैसे बताएं हम
इन आंसुओं को जाने कैसे छुपाएं हम
हर कोई डूबा हुआ है अपने ही ग़म में
अब ग़म की बात अपनी किसको सुनाएं हम
एक अरसा हो चुका है जुदा उससे हो गए
अब इस ज़ीस्त को ऐसे कैसे बिताएं हम
आंखों में, धड़कन में, सांसों में बसा है
चाहें भी तो उसको कैसे भुलाएं हम
दिल दे दिया, धड़कन थमने लगी अब क्या कहें
उल्फ़त में तेरी और क्या क्या लुटाएं हम
दुनिया का भी ग़म है मोहब्बत का भी ग़म
सारे गमों से दामन कैसे छुड़ाएं हम
अनमोल
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Author:
Anmol (Pseudonym) (
Online)
- Published: September 6th, 2025 06:29
- Category: Unclassified
- Views: 1
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