गुरु साडा है प्रेम सिखान्दा, ईस नु असां अपना लईए
छड नफ़्रत दी खटी नु, असां प्रेम दी हटटी ला लईए
तोड फ़ोड नफ़रत बाले भांडे,इक प्रेम गुल्दस्ता बना लईए
इक दुजे दे बनन सहारे,ऐसे फ़ुल्ल जिस बिच्च सज़ा लईए
गुरु साडा हे प्रेम सखान्दा इस नु........................
दाते बखशी दात आसाँ नू हुसन ज़बानी अकलाँ दी
क्यों न इस नू प्रेम मारियादा भग्ति बिच्च हंडा लेइए
मिटा अपनी खबाइशा नु, थोड़ी बिच्च शुक्र मना लाईए
कर सजदा इस रब्ब नु, जे निचले बॅल नज़र घुमा लाईए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नु.......................
प्रेम दे डाई अक्षरा दे नाल, अपना जिवन चमका लेईए
कॅड नफ़रत दिल्ला चों अपने प्रेम दी जोत जगा लेईए
सुरिन्द्र बट सुतली मॅन दी, बिच्च प्यार दे मोती पा लेइए
एसी सुंदर माला दे नाल फिर सतगुरु नाम धीया लेइए
गुरु साडा हे प्रेम सिखान्दा इस नु......................
- Author: sk_sahdev ( Offline)
- Published: June 26th, 2016 20:14
- Category: Unclassified
- Views: 29
Comments1
WELCOME SK ~ Thanks for posting LOVE GURU IS ALWAYS SIKHANDA. The content is quite sensual and interesting ~ O love the NU ! Thanks for sharing ~ Yours BRIAN
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